सोमवार, 17 नवंबर 2008

मुहब्बत की नगरी आगरा का एक सच
भारी बोझ सह न सका यह बेजुबान और
बोझ से यह बीच सड़क पर बेसुध गिर गया/

सोमवार, 10 नवंबर 2008

क्राइम का नया पैतरा

तमंचा दिखाकर लूटपाट करने वालों ने इन दिनों अपने तेवर बदले हैं/ अब असलहों की आधुनिकता मायेने नहीं रखती/ आगरा में इन दिनों बगैर हथियार के शातिर अंदाज में अपराधियों ने जिस तरह से सामान उठायें हैं वह सोचने लायक है / शहर के नमी डॉक्टर गुरुनानी की कार के आगे गन्दगी फैलाकर उन्हें बताना फ़िर चुपके से कार के भीतर से उनका बैग उठा लेना क्राइम के नया पैतरे की झलक भर है / ऐसे में लोगों को सचेत हो जाना चाहिए ताकि उनके साथ इस तरह की वारदात न हो सके/