बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

राज का गुंडाराज

नफरत की सियासत करना वाले राज ठाकरे ने मुम्बई की मिलीजुली संस्कृति को आग की लपटों के हवाले छोड़ दिया है/ सच मायने में चाचा से आगे निकलने की चाहत ही राज को आग उगलने को प्रेरित करती है /
शांत बिहारी को बाला साहब ठाकरे ने बीमारी बताया था/ अब उनका भतीजा और आगे निकलकर उत्तर भारत के लोगों पर सीधे डंडे बरसा रहा है/ मतलब साफ है और संदेश यही है की मुल्क को वोट की खातिर छेत्रवाद के पाले में समेटने की कोशिश है/