मंगलवार, 9 सितंबर 2008

जमशेदपुर सिटी यानी इमानदारी जिन्दा है

इमानदारी जिन्दा है
बात सिर्फ पाँच रुपये की है लेकिन इसमेसहर का आइना झलकता है/ इस शहर की खूबी तो देखिये यहाँ घरों में काम कराने वाली महिलाएं बेहद ईमानदार हैं/ यकीनन आप उनके हवाले पूरा घर छोड़कर कहीं भी घूमने जा सकतें हैं / मई एक बार आफिस से आया तो देखा फर्सपर पाँच का सिक्का पड़ा है/ गलती से मैं भूल गया था लेकिन दूसरे रोज मैंने जानबूझकर पैसे को छोड़ गया / काम वाली ने फ़िर उसे जस का तस् छोड़ दिया/ बस इसी वाकये ने यह संदेश दे दिया की नगरी में आदिवासी बेहद ईमानदार हैं / (मेरा अनुभव -- हिमांशु त्रिपाठी )

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