मंगलवार, 25 जनवरी 2011
रविवार, 23 जनवरी 2011
फ़ैज
जंगल में सांप, शहर में बसते हैं आदमी,
सांपों से बचके आये तो डसते हैं आदमी । ------ फ़ैज
’जोश’ मलीहाबादी
जंगलों में सर पटकता जो मुसाफ़िर मर गया,
अब उसे आवाज देता कारवाँ आया तो क्या ? ----- ’जोश’ मलीहाबादी
निदा फ़ाज़ली
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये । ------ निदा फ़ाज़ली
जंगल में सांप, शहर में बसते हैं आदमी,
सांपों से बचके आये तो डसते हैं आदमी । ------ फ़ैज
’जोश’ मलीहाबादी
जंगलों में सर पटकता जो मुसाफ़िर मर गया,
अब उसे आवाज देता कारवाँ आया तो क्या ? ----- ’जोश’ मलीहाबादी
निदा फ़ाज़ली
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये । ------ निदा फ़ाज़ली
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